Friday, June 4, 2021

अतरंग

गूँथ डाली तेरे गुलाबों से महकते पैगाम ने l
जुल्फों में उलझे उलझे गजरे के प्याम ने ll

लावण्य यौवन करवटें बदलती रातों में l
घूँघट में ना हो नूर बहकते आफ़ताब के ll

मधुशाला बहती रहे नयनो के जाम से l
मदहोश रहे सपनों के हसीं संसार में ll

संगीत स्वर लहरी लिए दिल के अरमानों से l 
खनकती रहे चूड़ियाँ प्यार के इस व्यार में ll

डूबे इस कदर साँसों की सरगम ताल  में ऐसे l 
आलिंगन बना रहे धडकनों की मीठी साजिशों में ll

सप्तरंगी रंगो से सजी इस अतरंग कहानी  में l
घुलती रहे चासनी अरमानों की अंतर्मन नादानियों में ll 

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17 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५ -०६-२०२१) को 'बादल !! तुम आते रहना'(चर्चा अंक-४०८७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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    1. आदरणीय यशवंत भाई जी
      मेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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  3. संगीत स्वर लहरी लिए दिल के अरमानों से l
    खनकती रहे चूड़ियाँ प्यार के इस व्यार में
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर सृजन।

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    1. आदरणीया सुधा दीदी जी
      मेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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  4. संगीत स्वर लहरी लिए दिल के अरमानों से l
    खनकती रहे चूड़ियाँ प्यार के इस व्यार में ll

    वाह !! बहुत खूब... लाज़बाब....

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    1. आदरणीया कामिनी दीदी जी
      मेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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  5. आदरणीय ओंकार भाई जी
    मेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
    सादर

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  6. उम्दा!
    श्रृंगार से ओतप्रोत, अस्आर।
    सुंदर सृजन।

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    1. आदरणीया दीदी जी
      मेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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    1. आदरणीया सुनीता दीदी जी
      मेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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    1. आदरणीय शिवम् भाई जी
      मेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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  9. हमेशा की तरह भावों व शब्दों का सौंदर्य बिखेरती रचना मुग्ध करती है।

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    1. आदरणीय शांतनु भाई जी
      मेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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