Tuesday, November 9, 2021

अंतर्ध्वनि

निकला बेचने रूह को जिस्म के जिस बाजार l
बिन सौदागर मौल हुआ नहीं उस सरे  बाजार ll 

अंतर्द्वंद विपासना जलाती रही चिता कई एक साथ l
पर हर कतरे में पाषाण सी थी इस रूह की रुई राख ll

मंडी तराजू के उसके बदलते मंजर के आगे l
भाव शून्य सी कोने में थी काया खड़ी सकुचाय ll

दीवार थी शीशे की पूरी गर्त से ढकी हुई l 
अंधकार की छाया थी दूजी और खड़ी ll

पैबंद में लिपटी रूह की यह स्याह घडी l
बाट जो रही यह बिकने नजरों की गली ll 

विच्छेद दास्तानों भँवर में भटकी अटकी रातों की l
फेहरिस्त दीवानों की इसकी जुदा औरों से थी ll

आज इस महफ़िल में तन्हा थी रूह अकेली l
कद्रदान कोई आया नहीं जीने इसे इस कोठी ll 

जिस्म की मंडी में नीलाम हो ना पायी l
इस रूह की बिलखती यह अंतर्ध्वनि ll 

15 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(११-११-२०२१) को
    'अंतर्ध्वनि'(चर्चा अंक-४२४५)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
      आभार

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    1. आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
      सुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
      सादर

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  3. मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ॥

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      सुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
      सादर

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  4. बहुत ही मार्मिक व हृदय स्पर्शी रचना

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  5. सुन्दर रचना

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    1. आदरणीय ओंकार भाई साहब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
      सादर

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  6. अंतर्द्वंद विपासना जलाती रही चिता कई एक साथ
    पर हर कतरे में पाषाण सी थी इस रूह की रुई राख।
    शानदार , बेमिसाल।
    👌👌

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    1. आदरणीया कुसुम दीदी जी
      सुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
      सादर

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  7. मार्मिक रचना

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    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      सुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
      सादर

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  8. बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।

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    1. आदरणीया सुधा दीदी जी
      सुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
      सादर

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