इश्क में उसके बार बार हर बार उजड़ा हूँ l
दरख्तों के पतझड़ शायद सावन नहीं पास ll
टूट बिखरा इसकी फ़िज़ाओं अनगिनत बार l
दिल फिर भी ना सुने इन कदमों की आवाज ll
रंग वो दूर था कही ना जाने क्यों बादलों पार l
चाँद ने दाग तिल छुपा रखा जैसे कोई राज ll
उन्माद इश्क नचा रहा हर चौबारे की गली गली फांस l
घुँघरू की तरह बजता गया उसके कदमों धूलो आस ll
सब्र इम्तिहान उजड़ उजड़ बिखरता इश्क लहू साथ l
अश्कों प्रीत सागर गहराई समा गयी इसके साथ ll
सूराख आसमाँ इश्क आँचल छू गया दिल के तार l
बहक गया मन एक बार फिर बिखर जाने के बाद ll
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
सब्र इम्तिहान उजड़ उजड़ बिखरता इश्क लहू साथ l
ReplyDeleteअश्कों प्रीत सागर गहराई समा गयी इसके साथ ll,,,, बहुत सुंदर आदरणीय शुभकामनाएँ
Deleteआदरणीया मधुलिका दीदी जी
ह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
मैं तो इस कदर उजड़ा हु की एक ब्लॉग ही बना लिया "उजड़ा पन्ना" 😅 बहुत बढ़िया लिखा है आपने।
ReplyDeleteआदरणीय शिवम भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
यह तलाश ही जीवन को आगे बढ़ाती है, सुंदर सृजन
ReplyDeleteआदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteआपका उत्साहवर्धन ही मेरी कूची के रंगों की सुनहरी धुप की मीठी बारिश हैं, आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन