ले आया वक़्त वहाँ
यादों का मेला लगा था जहाँ
बीनने लगा यादों के गुल
खिलने लगे गुजरे कल के फूल
संजोने यादों का सफ़र
वक़्त ने दी थी दस्तक
चुन चुन यादों के फूल
समेटने लगा भूली यादों के गुल
मिल गया जैसे कोई बिछुड़ा अपना
रो पड़ा दिल
जैसे सच हो गया कोई सपना
एक पल को थम गया वक़्त हमारा
मिल गया बचपन
खो गया था जो जाने कहीं
छुड़ा हाथ हमारा
ले आया वक़्त वहाँ
यादों का मेला लगा था जहाँ
Tuesday, May 1, 2012
रूह
गुजरा बचपन जीन गलियों में
रूह बस्ती है उन पगडंडियों में
बात उस शहर की थी बड़ी निराली
हार पेड़ पोधो से थी पहचान हमारी
गली मोहलो की थी शान निराली
हँसी ठिठोली में गुजर जाती थी शाम सुहानी
खुले आसमां तले
तारे गिन गिन
सपनों में खो जाती थी रात सयानी
बस गयी इन सबों में रूह हमारी
गुजर गया बचपन
छुट गया शहर संगी साथी
पर रह गयी यादें वही कही भटकती
रूह बस्ती है इनमे जैसे हमारी
रूह बस्ती है उन पगडंडियों में
बात उस शहर की थी बड़ी निराली
हार पेड़ पोधो से थी पहचान हमारी
गली मोहलो की थी शान निराली
हँसी ठिठोली में गुजर जाती थी शाम सुहानी
खुले आसमां तले
तारे गिन गिन
सपनों में खो जाती थी रात सयानी
बस गयी इन सबों में रूह हमारी
गुजर गया बचपन
छुट गया शहर संगी साथी
पर रह गयी यादें वही कही भटकती
रूह बस्ती है इनमे जैसे हमारी
मीठी बातें
अधखुली पलकें
मंद मंद मुस्काती साँसे
कह रही शरारत निगाहें
खामोश लव
ठंडी आहें
कर रही दिल की बातें
देख खिलते गुलाब को
याद आ गयी
प्रियतम की वो मीठी बातें
मंद मंद मुस्काती साँसे
कह रही शरारत निगाहें
खामोश लव
ठंडी आहें
कर रही दिल की बातें
देख खिलते गुलाब को
याद आ गयी
प्रियतम की वो मीठी बातें
भागा
मैं जो भागा आया
दुनिया पीछे छोड़ आया
वक़्त निकल ना जाये आगे
मैं रह ना जाऊं पीछे
पकड़ी रफ़्तार ऐसी
समय से आगे निकल आया
मैं जो भागा आया
दुनिया पीछे छोड़ आया
दुनिया पीछे छोड़ आया
वक़्त निकल ना जाये आगे
मैं रह ना जाऊं पीछे
पकड़ी रफ़्तार ऐसी
समय से आगे निकल आया
मैं जो भागा आया
दुनिया पीछे छोड़ आया
पल में
खबर मरने की आयी
अर्थी फूलों से सज गयी
राम नाम की धार बह गयी
चिता अंगारा बन गयी
मुक्त आत्मा हो गयी
अर्थी फूलों से सज गयी
राम नाम की धार बह गयी
चिता अंगारा बन गयी
मुक्त आत्मा हो गयी
जिन्दगी पल में राख हो गयी
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