Tuesday, May 1, 2012

यादों का मेला

ले आया वक़्त वहाँ

यादों का मेला लगा था जहाँ

बीनने लगा यादों के गुल

खिलने लगे गुजरे कल के फूल

संजोने यादों का सफ़र

वक़्त ने दी थी दस्तक

चुन चुन यादों के फूल

समेटने लगा भूली यादों के गुल

मिल गया जैसे कोई बिछुड़ा अपना

रो पड़ा दिल

जैसे सच हो गया कोई सपना

एक पल को थम गया वक़्त हमारा

मिल गया बचपन

खो गया था जो जाने कहीं

छुड़ा हाथ हमारा

ले आया वक़्त वहाँ

यादों का मेला लगा था जहाँ

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