RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, June 20, 2010
पुचकार
देख अपने को दर्द जुबा पे चला आया
मन सिसक उठा
दिल रो पड़ा
आँखे छलछला आयी
गले लगा पुचकारा जो प्यार से
ना दर्द रहा
ना दर्द का अहसास रहा
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