Friday, December 7, 2012

निगाहें

निगाहें जाने क्यों शरमा जाती है

देख खूबसूरती को अदब से झुक जाती है

पलके बंद कर तारुफ़ वया कर जाती है

जो लफ्ज लव सहज कह ना पाए

आँखों ही आँखों में वो बात कह जाती है

अंदाज ये निगाहों का दिल में उतर

प्यार के परवान चढ़ जाती है

निगाहें जाने क्यों शरमा जाती है



 

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