Saturday, May 4, 2019

मेघ

बादलों ने छेड़ी ऐसी मधुर तान

बरस आए मेघा सुर और ताल

उमड़ घुमड़ घटाएँ घनघोर

मिला रही नृत्य पद्चाप

कही सप्तरंगी इंद्रधनुषी छटाएँ

कही थिरक रहे बिजली के तार

आनंद उन्माद शिखर

बरस रहे बादलों के अंदाज़

हो मेघों की सरगम पे सवार

फिज़ा भी चल पड़ी मदमाती चाल

मेघों की इस राग में

कुदरत ने ले लिया एक नया अवतार

बरस रही मेघा

सज रहे सुर और ताल 

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (06-05-2019) को "आग बरसती आसमान से" (चर्चा अंक-3327) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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