दरकिनार कर आँखों के पैगाम
नींद भी खो गयी पलकों के साथ
बेचैन हो रही नज़रें
ढूँढने सपनों में अपना किरदार
अर्ध निशा तलक करवटों ने भी छोड़ दिया साथ
सोचा गुजार लूँ कुछ पल चाँद के साथ
निहारा झरोखें से
पाया नदारद हैं चाँद भी सितारों के साथ
रात प्रहर लंबी हो गयी
एकांत सिधारे नींदों के पैगाम
हर घड़ी टटोल रही आँखे
विचलित पलकें नींदों के नाम
विचलित पलकें नींदों के नाम
नींद भी खो गयी पलकों के साथ
बेचैन हो रही नज़रें
ढूँढने सपनों में अपना किरदार
अर्ध निशा तलक करवटों ने भी छोड़ दिया साथ
सोचा गुजार लूँ कुछ पल चाँद के साथ
निहारा झरोखें से
पाया नदारद हैं चाँद भी सितारों के साथ
रात प्रहर लंबी हो गयी
एकांत सिधारे नींदों के पैगाम
हर घड़ी टटोल रही आँखे
विचलित पलकें नींदों के नाम
विचलित पलकें नींदों के नाम
 
 
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteश्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आदरणीय शास्त्री जी
Deleteआपको भी राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ I
तहे दिल से धन्यवाद
आभार
मनोज