Thursday, April 2, 2020

विचलित पलकें

दरकिनार कर आँखों के पैगाम

नींद भी खो गयी पलकों के साथ

बेचैन हो रही नज़रें

ढूँढने सपनों में अपना किरदार

अर्ध निशा तलक करवटों ने भी छोड़ दिया साथ

सोचा गुजार लूँ कुछ पल चाँद के साथ

निहारा झरोखें से

पाया नदारद हैं चाँद भी सितारों के साथ

रात प्रहर लंबी हो गयी

एकांत सिधारे नींदों के पैगाम

हर घड़ी टटोल रही आँखे

विचलित पलकें नींदों के नाम

विचलित पलकें नींदों के नाम  

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. आदरणीय शास्त्री जी
      आपको भी राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ I
      तहे दिल से धन्यवाद
      आभार
      मनोज

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