Thursday, June 3, 2021

यादों की अलमारी

पन्ने बंद कितबों के जो पलटे l
अलमारी खुल गयी यादों की ll

गाँठ खुलते ही पोटली की l
गठरी खनक गयी जोरों से ll

अब तलक जो कैद थी पिटारे में l
बिखर गईं मोतियों के साज सी ll

वो पुरानी मीठी मीठी बातें l
लुके छिपे सूखे फूलों के साये ll

चुराई थी खत से उसकी जो बातें l
छप गयी पन्नों में वो सब बातें ll

बिसर गयी थी जो किताब कल कहीं l
मिली क्यों वो जब थी एक दीवार खड़ी ll
  
पन्ने इसके कुछ नदारद थे l
अंजाम दूर खड़े मुस्करा रहे थे ll

जिल्द उतर गयी थी किताबों की l
अधूरी यादें बन गयी पहेली सी थी ll

किरदार एक मैं भी था इसका l
कहानी वो मेरी ही सुना रही थी ll

10 comments:

  1. बहुत खूब ...
    मन के भाव को शब्द देने का अच्छा प्रयास है ... सुन्दर शेर हैं सभी ...

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    1. आदरणीय दिगंबर जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  2. वाह, बहुत सुंदर लिखा है आपने

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    1. आदरणीय शिवम् जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  3. सुंदर लाजवाब शेरों से सजी गजल ।

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    1. आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  4. यादों की आलमारी में यादों भरी डायरी...
    बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण सृजन।

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    1. आदरणीया सुधा दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  5. बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति ।

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  6. आदरणीया मीना दीदी जी
    हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
    सादर

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