Sunday, July 18, 2021

अनाम रिश्ते

कुछ रिश्ते अनाम अनजाने से होते हैं l
सिर्फ ख्यालों में सपने पिरोने आते हैं ll

दायरे इनके सिमटे सिमटे नज़र आते हैं l
नींदों में चिलमन इनके गुलज़ार हो आते हैं ll    

तसब्बुर में इनकी खाब्ब ऐसे घुल मिल जाते हैं l 
जन्नत के उन पल खुली पलकें ही सो जाते हैं ll

परछाइयाँ मेहरम इनकी इस कदर चले आते हैं l
धागे रिश्तें इनसे खुद ही खुद जुड़ते चले जाते हैं ll

खाब्ब कभी नींदों से जो खफा हो जाते हैं l
हलचल दिलजलों सी पीछे छोड़ जाते हैं ll

गुज़ारिश रही नींदो की ख़ब्बों के दरमियाँ l 
उम्र मुकमल होती नहीँ इन रिश्तोँ के बिना ll 

आरज़ू इनके साँसों की पलकों के खाब्बों की l
मियाद सजी रहे अनजाने रिश्तों खाब्बों की ll  

31 comments:

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    1. आदरणीया संगीता दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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    1. आदरणीय सुशील भाई जी
      मेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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  3. Replies
    1. आदरणीय शिवम् भाई जी
      मेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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  4. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (19-07-2021 ) को 'हैप्पी एंडिंग' (चर्चा अंक- 4130) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. आदरणीय रवीन्दर् जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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  5. सर आपकी इस रचना की तारीफ़ के लिए मेरे पास सिर्फ एक ही शब्द है और वो है निशब्द!

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    1. आदरणीया मनीषा दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  6. बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

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    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  7. बहुत सुंदर सृजन।

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    1. आदरणीया ज्योति दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  8. वाह बहुत सुंदर।

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    1. आदरणीया श्बेता दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  9. बहुत ही बढ़िया ।

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    1. आदरणीया अमृता दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  10. बहुत सुंदर रचना।

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    1. आदरणीया अनुराघा दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  11. Replies
    1. आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  12. गुज़ारिश रही नींदो की ख़ब्बों के दरमियाँ l
    उम्र मुकमल होती नहीँ इन रिश्तोँ के बिना ll सुंदर सृजन...

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    1. आदरणीय संदीप जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए शुक्रिया
      सादर

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  13. Replies
    1. आदरणीया दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  14. वाह!बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

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  15. कुछ रिश्ते अनाम अनजाने से होते हैं l
    सिर्फ ख्यालों में सपने पिरोने आते हैं ll
    भावों में पगी रचना प्रिय मनोज जी |सस्नेह शुभकामनाएं| यूँ ही लिखते रहिये |

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    1. आदरणीया रेणु दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
      सादर

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  16. Replies
    1. आदरणीय आलोक भाई साब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

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