Monday, December 5, 2022

संगिनी

कोहिनूर सी दिलकशी थी जिसकी बातों में l

महजबीं कायनात थी वो इन अल्फाजों की ll


वसीयत बन गयी थी वो इस नादान रूह की l

संभाली थी जिसे किसी महफ़ूज़ विरासत सी ll


हँसी लिये वो मुकाम उस लालिमा रुखसार का l

संदेशा गीत सुनाती मेघों पंखुड़ियां शबाब का ll


परखी जिन पारखी निगाहों ने इस नायाब को l

मृगतृष्णा मुराद बन गयी उस जीने की राह को ll


इस धूप की साँझ छाँव बनी थी जो कभी l

बूँद उस ओस की संगिनी सी गुलजार थी ll


हीना सी महका जाती यह अटारी फिर उस गली l

याद आ जाती वो मासूम अठखेलियाँ जब कभी ll

16 comments:

  1. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      ह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं

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  2. सुंदर, नायाब अभिव्यक्ति।

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    1. आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  3. बहुत खूबसूरत रचना

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    1. आदरणीया दीदी जी
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  4. वाह!!!
    बहुत ही सुंदर ।

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    1. आदरणीया सुधा दीदी जी
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  5. बूंद उस ओस की संगिनी सी...वाह, बढ़िया रचना है ्

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    1. आदरणीया गिरिजा दीदी जी
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  6. मोहक शिल्प में गढी गई और भावनाओं को विस्तार देती हुई उनकी नयी रचना👌👌

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    1. आदरणीया रेणु दीदी जी
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  7. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (8-12-22} को "घर बनाना चाहिए"(चर्चा अंक 4624) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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    1. आदरणीया कामिनी दीदी जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से आपका आभार

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  8. भावपूर्ण सुंदर सृजन

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    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से आपका आभार

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