Friday, February 17, 2023

उलझन

उलझन एक साँसों बीच चाँद क्यों अधूरा सितारों बीच l

मेहरम हवाओं आँचल बीच दाग क्यों चाँद माथे बीच ll


फलसफा कुदरत का ताबीज बन डोरे डाले आँखों बीच l

अनोखा स्वांग रचा रखा कायनात ने चाँद के माथे बीच ll


कभी अमावस की परछाई कभी ग्रहण की गहराई बीच l

नज़र कजरी बन आती ठहरी धड़कनों की अर्ध चाँद बीच ll


अलाव सी तपती मृगतृष्णा का आलाप झांझर बीच l

सूखौ रही कल कल करती नदियां संगीत सागर बीच ll


परखी बादलों ने जौहरी सी पनघट काया बदलती रूह बीच l

तस्वीर इस मंजर की इनायतॅ आयतें लिख रही चाँद बीच ll


बेचैन अधीर मन गुमशुदा करवट बदलती रातों बीच l

पूछ रहा खुद से क्यों खो गया मेरा चाँद बदरी बीच ll

6 comments:

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    1. आदरणीया दीदी जी
      ह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं

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  2. सुन्दर शिल्प में गुँथी अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      ह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं

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  3. Replies
    1. आदरणीय आलोक भाई साब
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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