उन्मुक्त परवाज भरता अभिव्यक्ति सार्गर्भित विचार l
अवहेलना व्याख्यान अविरल तुष्टीकरण करते निदान ll
निंदक निंदा भागीदार खोले ऐसे अद्भुत द्वार l
द्रुतगति सींचे नीव नवनिर्माण के साँचे द्वार ll
बबूल झाड़ियां मरुधरा नतमस्तक नील आकाश l
व्यथित पीड़ा खोज लायी मृगतृष्णा नव अवतार ll
मेरुदंड हिमशिखर बाज सी पैनी चाणक्य धुरंधर बात l
शत्रु सहभागी सूत्र पिरो दिया दशों दिशा नया आयाम ll
छोर क्षितिज संरचना गणना आदित्य के वरदान l
भूमिका महत्ता रोशनी संस्कृति विवेचन विचार ll
अध्याय आधार गतिशील प्रतिपल शिक्षा के संस्कार l
विश्वस्वरुप आधिपत्य संजो रहा एक नया इतिहास ll
सागर सरहदें मंथन निरंतर चेतन निर्माण चिंतन l
ध्वजा शंखनाद उद्घोष धरा उत्तम संगम तर्पण ll
पृष्ठभूमि रचित सृजन भूमिका अभिलाषा ज्ञान दान l
प्रस्फुटित अंकुर गुलाब महका रहा ब्रह्मांड दर्श ज्ञान ll
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
निंदक निंदा भागीदार खोले ऐसे अद्भुत द्वार l
ReplyDeleteद्रुतगति सींचे नीव नवनिर्माण के साँचे द्वार ll
वाह!!!!
बहुत सुन्दर ।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
Lovely blog you have
ReplyDeleteयह कविता मुझे बहुत प्रेरक लगी।
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