Monday, May 1, 2023

आलाप

सुन सावन के पतझड़ की रागिनी आलाप l

ख़त लिख भेजे बारिश की बूँदों ने दिल के साथ ll


उलझे उलझे केशे भीगे भीगे आँचल की करताल l

मानों दो अलग अलग राहें ढ़लने एक साँचे तैयार ll


ग़ज़ल जुगलबंदी के साज झांझर भी थिरके नाच l

अर्ध चाँद और भी निखर आया सुन बारिश की ताल ll


ताबीज बनी थी जो आयतें उस शरद पूनम की रात l

कर अधर अंश मौन महका गयी अश्वगंधा बयार ll


शरारतों की बगावत थी वो रूमानी साँझ l

शहनाई धुन घुल गयी चूडियों की बारात ll


काश थम जाती वो करवटें बदलती साँस l

मिल जाती दो लहरें एक संगम तट समाय ll


रूह से रूह का था यह रूहानी अहसास l

मौसीक़ी से जुदा ना था बारिश का अंदाज ll


सुन सावन के पतझड़ की रागिनी आलाप l

ख़त लिख भेजे बारिश की बूँदों ने दिल के साथ ll

9 comments:

  1. सदैव की तरह लेखनी ने कोमलकांत शब्दावली में सृजन को सुन्दर आयाम दिया है ।भावपूर्ण कृति ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      ह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं

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  2. सुन सावन के पतझड़ की रागिनी आलाप l

    ख़त लिख भेजे बारिश की बूँदों ने दिल के साथ ll
    बहुत ही सुन्दर , भावपूर्ण सृजन।
    वाह!!!

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    1. आदरणीया सुधा दीदी जी
      ह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं

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    1. आदरणीया विभा दीदी जी
      ह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं

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  4. सुंदर भावाभिव्यक्ति

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    1. आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
      ह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं

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  5. बहुत सुंदर भावों से सजी हुई रचना वैसे भी आपकी लेखनी अलग अंदाज की है, बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय ।

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