Wednesday, August 13, 2025

आघात

आघात निष्काम निःशब्द खामोशी गूँज के l

रक्त होली बहा गए सादी बैरंग किताबों के ll


छुट गये कदमों निशाँ सभी गलियों मोड़ से l

बूंदे सावन मिलने आयी थी बादलों नूर से ll


मंथन गुमशुदा अर्जियां अम्बर पहेलियाँ गूँज से l

ख्यालों रुबरु करा गयी साँसों बंदिशें रुत से ll


पल प्रतिपल बदलते अधूरे शब्दों समीकरण से l

शून्य अह्सास नीर रिस चला काजल नूर से ll


साँझ खामोश दर्द रक्त लेखनी आघात मंजर से l

थक सो गयी आँखें बंद हो पलक कटोरों से ll

4 comments:

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    1. आदरणीय सुशील भाई साब
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  2. बहुत सुन्दर सृजन ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन

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