Saturday, August 27, 2016

जिंदगी की तलाश

चल एक बार फिर से जिंदगी की तलाश करे

तेरी खुशियों में अपनी खुशियाँ तलाश करे

दुओं की कमी ना रह जाए कही

आ मिल फिर खुदा से फरियाद करे

नजर ना लग जाए शहर की कही

दामन को तेरे गैरों से बचते बचाते चले

आ कुछ ऐसे पलों की तलाश करे

मैं और तुम से आगे निकल

हम में खुशियों की तलाश करे

चल फिर से एक बार जिंदगी की तलाश करे

एक बार फिर से जिंदगी तलाश करे

Saturday, August 13, 2016

जज्बातों की बात

सब जज्बातों की बात है

कही प्रेम तो कही कपटी चाल है 

उड़ाता मख़ौल बचपन की वो बात है 

वक़्त के साथ बदल गयी जज्बातों की बारात है 

ना अब वो चाँद महफिले शान है 

ना ही ग़ज़लों में वो रूमानी अंदाज़ है 

बस कुछ पल का याराना 

फ़िर अँधेरी रात है

सब जज्बातों की बात है

बदल गयी अब वक़्त की रफ़्तार है

खुशफ़हमी के आलम में जीने को

मजबूर आज हालात है

सब जज्बातों की बात है

Monday, August 8, 2016

बारिस

भोर की बारिस कान में कुछ गुनगुना गयी

हौले से नींद मेरी चुरा ले गयी

मिज़ाज कुछ ऐसा आशिक़ाना बना गयी

बाँहों में उनके दीदार करा गयी

सर्द ठंडी आहों में

तड़पते दिल को बेकरार बना गयी

बदनाम थे आशिक़ हम

बारिस उसपर क़यामत बरसा गयी

हर करवटों में

सपनों की एक नयी सौगात थमा गयी

भर रूह को बदरी के आगोश में

छम छमा छम मेघ बरसा गयी

भोर की बारिस चुपके से

निंदिया चुरा ले गयी

Wednesday, July 20, 2016

लम्हा

जिन्दगी तू पलट के देखती क्यों नहीं

गुजरे लम्हों को समेटती क्यों नहीं

माना यादें वो रुलाती हैं

पर कोई लम्हा ऐसा भी था

जो सिर्फ और सिर्फ मेरा था

सिमट जाये ए यादों के पन्नों में

पहले इसके

ए जिंदगी उस पल के झरोखें से

एक बार फिर बचपन का अहसास करादे

जो लम्हा मेरा था

एक बार फिर उससे मिला दे

एक बार फिर उससे मिला दे

Monday, July 4, 2016

सफरनामा

सफ़र के इस पड़ाव में

खड़ा हूँ मुक़ाम की जिस दहलीज़ पर

राह यह आसान ना थी

मंजिल फ़िर भी मगर पास ना थी

टूटे अरमानों में साँस अभी बाकी थी

क्योंकि सफरनामे की इस गाथा में

दिलचस्प वृतांत अभी आनी बाकी थी

शायद इसीलिए

उम्मीदों की किरणों में आस अभी बाकी थी

बिखरें जज्बातों की इस कहानी में

अठखेलियाँ करते बचपन की निशानी अभी बाकी थी

वक़्त के गर्त में समा ना जाये ए अधूरी कहानी

इसलिए ताबीर जिंदगानी की अभी बाकी थी

ताबीर जिंदगानी की अभी बाकी थी