Thursday, July 30, 2009

सरगम


कशीश


प्यार का अहसास


लम्हा


प्यार की माला


साँसे


होंसला


दिल की चाहत


तेरी याद


रंगत


खुशी


जीवन राग

पहाड़ झरने नदियाँ सागर कल कल गीत सुनते है

पंछियों को कूहू कूहू सुर से सुर मिलाते है

मधुर संगीत लहरी को सुन

फूल भी खिलखिलाते है

इस पावन बेला को नमन करने

सूर्य उदय हो चले आते है

इस अनूठे मिलन में सप्त सुरों का राज छिपा है

प्रकृति की अनुपम घटा में जीवन राग छुपा है

उल्फत


अंहकार

जलजला ऐसा आया

ह़र ओर विनाश लीला धधक उठी

कहीं ज्वालमुखी तो कहीं बाढ़

की भिभिशका का मंजर छा गया

प्रकृति का रौद्र रूप देख रूह भी काँप उठी

मानव ने अहंकार बस सृष्टि को नष्ट करने की ठान ली

मोह्बत


बिदाई


लहर

उठती थमती लहरों पे जीवन कश्ती डोल रही है

कुदरत आज एक अजबूझ पहेली लग रही है

ऐसा क्यों लागे वक़्त थाम जायें

विनाश लीला टल जायें

अपनों के संग जीने का एक मौका ओर मिल जायें

अधूरे ख्वाब पुरे करने की अभिलाषा पूर्ण हो जाय

जीवन नैया भवसागर से सागर तट किनारे लग जाय

दास्ताँ ऐ इश्क

घड़ी बिछुड़ने की आयी है

जैसे सूर्यास्त होने को आयी है

प्यार की रोशनी मद्धिम पड़ रही है

ज्यों दिया बाती बुझ रही है

दिल डूब रहा है

जैसे रात ढल रही है

आँखे नम हो रही है

जैसे आसमान रो रहा है

दिल तड़प रहा है

जैसे बदल गरज रहा है

मोहब्बत चीत्कार रही है

यू ज्यूँ चमन उजड़ रहा है

आज फिर एक

दास्तान ए इश्क नाकाम हो रहा है

जैसे खिलने से पहले गुलाब मुरझा रहा है

अग्नि


पुकार


कदम


करुण पुकार


नई उम्मीद


प्यार की रोशनी


उदासी

ऐ दिल ये बता तू क्यों इतना उदास है

क्या खोया जो इतना बेकरार है

ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है

धड़कन खोयी कहा जो तू इतना चुपचाप है

ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है

रोग तुझे ये कैसा लगा जो लाइलाज है

ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है

दर्द क्यों बे हिसाब है

ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है

प्रियतम

प्रियतम मेरे अब ना रूठो

कहना मेरा मां भी जावो

प्यार में तेरे खुद को लुटा देगें

राहों में तेरी मोहब्बत के फूल खिला देगें

बिन तेरे अब एक पल जी ना पायगें

जो तू ना मिली तो मर जायेगें

तेरे इकरार पर दुनिया लुटा देगें

तेरे सिवा कुछ ओर अब ना देखेगें

चन्दा को भो लौट जाने कह देगें

हमसे अब तो यू ना रूठे रहो

दिल

अम्बर गरजे घटा डोले मेघा बरसे

प्यासा मन मिलन राग गाये

कलियाँ खिले पपहिया कूहूकूहू बोले

मन बसंती प्रियतम की राह तपें

दिल डोले नयना बोले

साजन संग ह़र दिन होली ह़र दिन दिवाली लगे

तेरे बिन


निर्मल मन

शीतल पावन निर्मल मनआज यूँ जले

जैसे अपनी तपीस से सूरज जले

चन्दा सा शीतल बदन यूँ जले

जैसे वन की आग जले

खुदा मेरे ये तो बता

क्यूँ दिल जले क्यूँ रात ढले

नई सुबह

चल चला चल तू चल चला चल

एक नए सपने को बुनने तू

एक नयी सुबह एक नए सूर्य को

नमन कर आगे बढ तू

कर्म पथ पर चलता चल तू

कामयाबी के शिखर को छू तू

उठ आ अब शपथ ले

कदम ना कभी डगमगायेगें

मुश्किल चाहे कितनी भी आवे

हार नहीं तुम मानोगे

नया दिन फिर उदय होगा

तेरा नया भाग्य उदय होगा

ले शपथ कर तिलक

मंजिल की ओर बड़ा कदम

चल चला चल तू चल चला चल

राधा रानी


दीवाना


दूरी


तेरी याद


कैसा जीना


हम तुम

तेरे साँसों की गरम हवा में

खुद को मिटा देगें

तेरी बांहों में खुद को लुटा देगें

जो तुम हमें मिल जाओ

तो हम दुनिया को भुला देगें

दर्द ऐ इश्क


तेरा इन्तजार

तेरे इन्तजार में कब रात घिर आयी

पता ही ना चला

सोचा तारों को गिन रात गुजार लेंगे

पर कब मेघ बरस पड़ी

पता ही ना चला

सोचा चाँद में प्यार का दीदार कर लेंगे

पर किस्मत तो देखो

वो भी बादलों में छिप गया

महबूब मेरे तेरे इन्तजार में मेरा प्यार छुपा है

Monday, July 27, 2009

इन्तजार


मुक्ति


अमर प्रेम


मेरी हमसफ़र


शबनमी आँख


अनोखी चाहत

तेरा अहसास एक नयी अनुभूति प्रदान करता है

आज तक ना ही तुझे देखा है

फिर भी तेरे से इश्क लड़ाने को जी चाहता है

तेरी वाणी सुनने को हर पल व्याकुल रहता हूँ

तेरे दीदार को तरसा करता हूँ

फासला मिलन के अनुभव से रोमांचित हो रहा है

दिल अब हर पल तुम्हें ही चाहता है

मेरे पिता


प्यार की दुनिया


मुमकिन


देवदास


नई राह


स्वीकार


चाचा ( पिता )


हे ईश्वर


कामना


नमन


किस्मत


पुत्र


विरह


अहसास


जादू


श्रदांजलि


प्यार और तड़प


जाम

जाम जब छलकते है

आंसू बन बहते है

दिलों के अरमान जब टूटते है

मधुशाला के द्वार खुलते है

आंसुओ में गमों को छलकाने की बजाय

मधुशाला में जाम छलकाते है

गमों की दरिया में डूब

गमों की बांहों में खुद को भूल जाते है

दर्द को जीने का नशा जान

मदिरा के नशे में काल को गले लगाते है

सुन्दर नयन छलकाने फिर गम

हर दरिया किनारा तोड़

सैलाब बन छलक पड़ते है

माहिया