Thursday, July 30, 2009

जीवन राग

पहाड़ झरने नदियाँ सागर कल कल गीत सुनते है

पंछियों को कूहू कूहू सुर से सुर मिलाते है

मधुर संगीत लहरी को सुन

फूल भी खिलखिलाते है

इस पावन बेला को नमन करने

सूर्य उदय हो चले आते है

इस अनूठे मिलन में सप्त सुरों का राज छिपा है

प्रकृति की अनुपम घटा में जीवन राग छुपा है

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