Monday, July 27, 2009

चाँद

आसमान में चाँद निकल रहा है

मेरा चाँद खुद को बदरी में छिपा रहा है

शशि की आभा से गगन यूँ चमक रहा

जैसे चाँदनी रात हो

जुल्फों की लटोंमें छिपा मेरा चाँद

अमावस्या की निशा लग रहा है

हुस्न मोहब्बत रजनीश अपने पूरे सबब पर है

मेरे हुस्न की मल्लिका मुझसे नाराज है

क्योंकि चाँद में भी दाग है

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