Saturday, July 18, 2009

आंसू

इन सुनहरी आँखों से शबनमी आंसू यू ना बहने दो

मुस्कराते हुए जीवन से लड़ा करो

खतरों के बदल में रिमझिम बन बरसा करो

विनाश की आंधी में हिमालय बन डटे रहा करो

आनेवाले हर पल के लिए तैयार रहा करो

प्रतिकूल परिस्थिति को अनुकूल बना

सदा ग़मों मेंभी मुस्कराया करो






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