Monday, July 20, 2009

वो

वो आते है फिर चले जाते है

ना ही दुआ ना ही सलाम करते है

हम फिर भी उनके इन्तजार में

अँखिया लगाये बैठे रहते है

उनका यूँ बलखाते हुए आना

शरमाते हुए बगल से गुजर जाना अच्छा लगता है

हमें देख उनका मंद मंद मुस्काना

दिलो के तार छेड़ जाता है

जब भी दिल की कशीश को

जुवां पे लाने की कोशिश करते है

वो अपनी मंजिल को निकल पड़ते है

हम फिर से उनके दीदार को

उनके आने का इन्तजार करते है

उनका यूँ हमें देख अनदेखा कर

जुल्फों को लहराते हुए गुजर जाना

इश्क ये जूनून में

हमें ठंडी आहें भरने छोड़ जाती है

उनको पाने की आस में

उनकी सजदा में पुन: बैठा करते है

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