Sunday, September 5, 2010

माँ

माँ तुम कीर्ति हो कुदरत की बेमिसाल

सर झुके तेरे ही चरणों में बारम बार

सृष्टि रचे तेरे ही पुण्य प्रताप

रब से भी पहले तुझे ही पुकारे

सारे जन अपार

हा माँ तुम ही वो महान अवतार

जिसके आगे शीश नवाये

ईश्वर भी खुद आय

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