POEMS BY MANOJ KAYAL
जूझ रहा हु ऐसे
ह़र कदम चलना सीख रहा हु जैसे
गिरते उठते आगे बढ़ रहा हु ऐसे
खुद के क़दमों पे खड़ा होना सीख रहा हु जैसे
मंजिल अभी भी बहुत दूर वैसे
पर लग रहा है ऐसे
कामयाबी कदम चूम रही हो जैसे
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