RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, September 10, 2010
ओझल
पंचतत्व से बना शरीर
पंचतत्व में मिल जायेगा
कर्म हो अच्छे तो
यादें सिर्फ रह जायेगी
वर्ना स्मृतिपटल से वो भी
ओझल हो जायेगी
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