Thursday, September 16, 2010

मेरे पूज्य पिता

जीवन सदैव ऋणी रहेगा आपका

पितृ स्नेह लुटाया ऐसा आपने

भर गयी झोली हमारी आपके प्यार से

पर बिन कहे ऐसे गये

खामोश हो गयी आवाज़ भी आपकी

तलाश रही है नजरे

आप की छावँ आज भी

छलछला आती है आँखे

जब भी आती है याद आपकी

बस एक बार वापस चले आओ

चाचा जिन्दगी को तलाश आज भी आपकी

No comments:

Post a Comment