POEMS BY MANOJ KAYAL
बातों में तेरी लहराती है गीतों की माला
सुनके नाचे मन की अभिलाषा
इतनी हसीन है तेरी आँखों की मधुशाला
देखू जब भी इनमें
सुध बुध भूल जाती है दिल की भाषा
ओ सुन्दरी कैसी है ये तेरी माया
मेरी परछाई में भी दिखे तेरी ही छाया
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