RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, July 21, 2012
पगली
क्या हुआ जो जुदा हो गयी
छोड़ अपनी दुनिया तन्हा हो गयी
सुनी किसने दिल की फ़रियाद है
इन्साफ कहाँ
ह़र तरफ आंसुओ का सैलाब है
करली पार जिसने ऐ तरणी
जीत गयी मानो जैसे कोई पगली
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