Thursday, September 22, 2016

आईना

आईना देखकर जीना हम सीख गए

इन आँखों में चेहरा आपका देखकर

मुस्कराना हम सीख गए

लिखी थी आयतें दिल ने जो प्यार की

रूबरू करा गयी आईना ईबादत आपकी

उम्र लंबी थी मुलाक़ात की इस शाम की

आईना रो पड़ा आपने जब आवाज़ दी

तड़प के दिल ने कहा चली आ ए मौशिकी

तोड़ के ए रश्मे चली आ गली प्यार की

क्यूँ पता आपका अब आईने से पुछूं

नूर आपका अब अपनी आँखों में पढ़ूँ

उम्र लंबी हो इस प्यार की

आईना भी मुस्करा पड़े

देख नजरें ईनायत आपकी

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