Saturday, May 1, 2021

बेचैन पलकें

बेचैन रहती थी पलकें इस कदर l
अश्कों का कोई मोल नहीं था इस शहर ll

पर कटे परिंदों सा था ये हमसफ़र l
झुकी नज़रें बयाँ कर रही तन्हा यह सफ़र ll

मेहरम नहीं इनायत नहीं सुबह हो या रात भर l
फासला गहरा इतना दो पहर सागर के दो तरफ़ ll

आरज़ू मिली भटकती राह एक शाम इस शहर l
लिपट गयी सहम गयी ख़ुद से सहमी सहमी डगर ll

पगडंडियाँ से पटी थी बाजार की नहर l
निर्जन खड़ी थी जिजीविषा की लहर ll 

आहट एक समाई थी अंदर ही अंदर l
साये संग रूह की ना थी कोई खबर ll

रेखा हथेलियाँ बदलूँ एक रोज नए शहर l
फ़िलहाल ख़ामोश रहूँ कह रही पलकें संभल संभल ll 

 बेचैन रहती थी पलकें इस कदर l
अश्कों का कोई मोल नहीं था इस शहर ll

27 comments:

  1. Replies
    1. आदरणीय शिवम् जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर
      मनोज

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    2. रेखा हथेलियाँ बदलूँ एक रोज नए शहर l
      फ़िलहाल ख़ामोश रहूँ कह रही पलकें संभल संभल ll
      बहुत ही सुन्दर...
      वाह!!!

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    3. आदरणीया सुधा दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर
      मनोज

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  2. आदरणीया मीना दीदी जी
    मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने एवं हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
    सादर
    मनोज

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  3. सुन्दर गजल, प्रभावशाली प्रस्तुति। ।।। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय मनोज जी।

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    1. आदरणीय पुरषोतम जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर
      मनोज

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  4. पगडंडियाँ से पटी थी बाजार की नहर l
    निर्जन खड़ी थी जिजीविषा की लहर ll

    बेहतरीन ग़ज़ल ।।

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    1. आदरणीया संगीता दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर
      मनोज

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  5. खूबसूरत ग़ज़ल।

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    1. आदरणीय नीतीश जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर
      मनोज

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  6. बहुत सुंदर

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    1. आदरणीय ओंकार जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर
      मनोज

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  7. आहट एक समाई थी अंदर ही अंदर l
    साये संग रूह की ना थी कोई खबर ll

    बेहद मार्मिक सृजन,सादर

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    1. आदरणीया कामिनी दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर
      मनोज

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  8. बेहद उम्दा नज़्म ।

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  9. आदरणीया अमृता दीदी जी
    हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
    सादर
    मनोज

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  10. एक लाजवाब गज़ल,हर शेर उम्दा ।

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    1. आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर
      मनोज

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  11. Replies
    1. आदरणीय विकास जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर
      मनोज

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  12. गहरे अर्थपूर्ण शेर हैं सभी ...
    अच्छी गज़ल ...

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    1. आदरणीय दिगम्बर जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर
      मनोज

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  13. प्रिय मनोज आपके लेखन से आपके चिंतन की गहराई का पता चलता है | बहुत गहरे उतर कर लिखते हैं आप | अछि ग़ज़लें पढ़ी आज आपकी | लिखते रहिये आपको मेरी शुभकामनाएं|

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    1. आदरणीया रेणु दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      सादर

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  14. बेचैन रहती थी पलकें इस कदर l
    अश्कों का कोई मोल नहीं था इस शहर ll

    पर कटे परिंदों सा था ये हमसफ़र l
    झुकी नज़रें बयाँ कर रही तन्हा यह सफ़र ll
    बहुत खूब |

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    1. शुक्रिया दीदी जी

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