हैरत हुई ना किश्तों उधार मिली यादों दरारों में l
इल्तिजा ठहरी नहीं चहरे शबनमी बूँदों दरारों में ll
खोई सलवटें सूने आसमाँ तुरपाई गलियारों में l
छुपा गयी गुस्ताखियां आँचल पलकों सायों में ll
सुरमई बादल पनाह काजल निगाह घनेरो में l
कोई रंजिशें पैबंद ठगी अधखुली कपोलों में ll
बिखरे केशों लिपटी लट्टे झुर्रियां दर्पण लहरों में l
तस्वीरें धुंधली बदलती लकीरें हाथों मेहंदी में ll
ख्वाबों ख्यालों परिदृश्य फिराक दीवारों परिधि में l
लकीरें हाथों मिट गयी उलझन भरे अंधियारों में ll
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteआदरणीया डॉ. मोनिका दीदी जी
Deleteसराहना सम्पन्न अनमोल प्रतिक्रिया के हृदयतल से आभार आपका ।
Wahh
ReplyDeleteअलग और खूबसूरत अंदाज
आदरणीय भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
सुंदर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
अति सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteआशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से आपका आभार
अति सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteआशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से आपका आभार
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 10 दिसंबर 2025 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआदरणीया पम्मी दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से आपका आभार
बहुत सुंदर
ReplyDeleteआदरणीय हरीश भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद