Monday, July 20, 2009

नारी

नारी जीवन की सच्ची ये कहानी

जिसने पत्त्नी बन वंश बढाया

उसे ही दहेज़ की बेदी पर चढ़ाया

ना कोई नारी की पीड़ा समझ पाया

ना ही उसके निर्मल मन को जान पाया

नारी अगर चाहे तो अग्नि बन जाये

चाहे तो धरती में समा जाये

नारी है महान यह बात पुरुष पचा ना पाया

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