Saturday, May 8, 2010

किस्मत का खेल

फिर रात यू ही गुजर जायेगी

रूह तड़प के रह जायेगी

किस्मत का खेल है ये तो

बाँधी दो जाने ऐसे डोर से

मिलन उनका हो सके नहीं

इन्तजार की शाम ढले नहीं

लगन की अगन बुझे नहीं

काटे रात कटे नहीं

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