RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, May 15, 2010
ग़मों के बादल
नकाब उदासी को उतार दीजिये
ह़र कोई परेशान है
कहीं न कहीं किसी न किसी गम से
ह़र एक का कोई न कोई नाता है
जो जीते है सदा मुस्कराते हुए
उनके ग़मों के बादल भी पल में छट जाते है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment