Thursday, May 30, 2013

यादों की बारिस

यादों की बारिस हो

सपनों का संसार हो

रूमानी ख्यालों में

गुजरे पल के दीदार हो

रह ना जाए कोई बात अधूरी

क्योँ ना फिर एक हसीन मुलाक़ात हो

ठहर जाए ये समां यही

कहीं आँधियों का शोर ना हो

अफ्सानो के इस पल

अपने दरमियाँ कोई ओर ना हो

बस मेरी तन्हाई हो

ओर तेरी मीठी मीठी यादों का साथ हो

2 comments:

  1. बस मेरी तन्हाई हो
    और तेरी मीठी मीठी यादों का साथ हो
    ..बहुत सुन्दर यादों का समां ..

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  2. कविता जी
    मेरी रचना " यादों की बारिस " पसंद करने के लिए धन्यवाद्
    सादर
    मनोज क्याल

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