Wednesday, May 8, 2013

शुक्रिया

शुक्रिया ये जिन्दगी

उन खुश नुमा पलों के लिए

बदल के जिंदगानी

खोल दिए जन्नत के द्वार

जब तुमने मेरे साये के लिए

हसीन बहुत ही वो लहमा था

सितारों की महफ़िल में

मैं अकेला चाँद का टुकड़ा था

खुशियों ने मुखड़ा ऐसा दमकाया 

देख के दर्पण भी शरमा आया

टूट ना पाए बस ये सपना

हर पल ऐसा ही सुन्दर हो मन अपना

हर पल ऐसा ही सुन्दर हो मन अपना



 

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