Saturday, August 19, 2017

बेआवाज़

रातें ए बेआवाज़ नहीं

दरियाँ की क्या कोई पहचान नहीं

माना

धड़कनों के संगीत में

शोरगुल की कोई फ़रियाद नहीं

पर रातें ए भी बेआवाज़ नहीं

बड़ी मुश्किलों से कटता हैं यह सफ़र

क्योकिं बिन शोरगुल

इस जीवन की कोई पहचान नहीं

यतार्थ में सन्नाटे की चीत्कार

दिल के दरम्यां गुम होने की

कोई मिशाल नहीं

रातें ए बेआवाज़ नहीं

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