Tuesday, August 11, 2009

रुसवाई

खता क्या हम से हुई

हर तरफ़ रुसवाई नजर आई

चले थे सपनो का महल बनाने

आंधी एसी चली तिनका तिनका बिखेर गई

आशिया बसने से पहले उजड़ गया

जुदाई के गम मैं आंसुओ का सैलाब बह गया

खता क्या हुई हर ओर विरानगी नजर आई

चलते चलते सोचा बहुत

पर भूल क्या हुई समझ ना आई

दिल लगाने की सजा शायद हमने पाई

ना जाने क्या खता हम से हुई

हर ओर रुसवाई ही रुसवाई नजर आई

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