Thursday, August 6, 2009

मजाक

लहर ऐसी उठी कश्ती उतरने से पहले ही डूब गई

आंधी ऐसी चली आशियाना बनने से पहले ही उजड़ गया

मजाक कुदरत ने ऐसा किया

जिन्दगी गुलजार होने से पहले ही वीरान हो गई

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