Saturday, May 15, 2010

ग़मों के बादल

नकाब उदासी को उतार दीजिये

ह़र कोई परेशान है

कहीं न कहीं किसी न किसी गम से

ह़र एक का कोई न कोई नाता है

जो जीते है सदा मुस्कराते हुए

उनके ग़मों के बादल भी पल में छट जाते है

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