Saturday, April 3, 2010

छुपा चाँद

तेरे चाँद से मुखड़े के आगे

सितारों की महफ़िल भी फीकी है

क्यों झांके बाहर

तस्वीर तेरी जब दिल में बसी है

घूँघट तेरा उठाने हमें आना ही होगा

छुपे चाँद को नयनों के आगे लाना ही होगा

No comments:

Post a Comment