Saturday, April 3, 2010

बरस रहा अम्बर

बरस रहा अम्बर

बोल रही धरती

खिल उठी जिन्दगी

बारिस की शबनमी बूंदों से

लहरा उठी जिन्दगी

नए अंकुरों में

फ्रस्फुटित हो चली जिन्दगी

बरस रही मेघा

चमक रही बिजली

गरज रहा अम्बर

बोल रही जिन्दगी

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