Monday, July 26, 2010

मेरे बच्चे

फक्र है नाज है

नहीं है अहंकार

मेरे बच्चे है

मेरे सर के ताज

मगरूर नहीं खुश हूँ

कुदरत ने दिए

दो छोटे से फूल मुझे उपहार

दिखे बचपन इन में मेरा अपना

पढ़ा लिखा बनाना है इनको अच्छा इंसान

गरूर है ये मेरा

मैं हूँ इनका जन्मदातार

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