RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, July 26, 2010
आसरा
इस उम्र अब नए शहर क्या पहचान मिलेगी
काटे नहीं जिन्दगी कटेगी
आसरा है बस एक
यादों के सहारे
तारे गिन गिन राते कटेगी
दौर यह अकेलेपन का भी गुजर जायेगा
अंत समय कुदरत जब गले लगा लेगी
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