सर्द हवाएँ ख़यालों होले से झूमकौ फुसफुसा गयी एक मिठी सी राग l
नाजुक हवाएँ पूछ
रही पता उस अक्स तलब
जिसकी थी कभी पास ll
कानाफूसी रूमानियत थामी थी सोंधी सोंधी
पंजरी सी मुस्कान
l
परिचय पूछ रहा
अल्हड काजल कहा
छुपी थी आँचल मनुहार ll
सौम्य काव्यअग्नि रूप सृष्टि
माथे ललाट प्रतिबिंब
चंदन आकार l
गुँथे घूंघट पीछे
सहज संक्षेप लिख
गयी एक सांची
चंद्र आधार ll
उलझा बिखरी केश
लट्टे वेणी सी सज गयी
सुरमई साँझ कर्णताल
l
सलाह चंचल गुदगुदी
पायल सुना रही
कोई सुन्दर कहानी
संसार ll
कानाफूसी बीचों बीच
थम थम बरसी जोगन सी
मेघ सुर करताल
l
ओस बूँदों ढ़की
पलकें शागिर्द सी
नाच उठी नींद
सिरहानों साथ ll
प्रकृति का सुंदर चित्रण करती भावपूर्ण रचना मुग्ध कर जाती है ।
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