Tuesday, November 3, 2009

भाषा

लगता है भाषा प्यार की समझ नही आती

हर छोटी छोटीबातों पे तलवार निकल आती है

ना जुबान पे कोई लगाम होती है

लड़ने को आतुर भोये तन जाती है

कड़वाहट वो भी नीम चडे करेले सी हो जो

दोस्तों को भी दुश्मन बना देती है

फिर भाषा प्यार की समझ नही आती है

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