अपने मुकाम से जो नजर उठा कर देखोगे
हर ओर लाशों के अम्बार नजर आयेंगे
आतंक से तार तार हुई जिन्दगी नजर आयेगी
छिन्न भिन्न हुई संस्कृति नजर आयेगी
देख इस भयावह मंजर को खुदा की याद आयेगी
कैसे कटेगी जिन्दगी लाशों के बीच
यह बात समझ नहीं आयेगी
जिन्दगी ख़ुद एक जिन्दा लाश बन रह जायेगी
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