POEMS BY MANOJ KAYAL
कल्पना की उड़ान स्वछंद हो
ना किसी से तकरार हो
ना विचारो का टकराव हो
मुक्त गगन उड़े ऊँची उड़ान हो
सुंदर स्वप्निल कल्पना साकार हो
प्यार बसे जिसमे सबका
वो सपना साकार हो
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