POEMS BY MANOJ KAYAL
लगता है भाषा प्यार की समझ नही आती
हर छोटी छोटीबातों पे तलवार निकल आती है
ना जुबान पे कोई लगाम होती है
लड़ने को आतुर भोये तन जाती है
कड़वाहट वो भी नीम चडे करेले सी हो जो
दोस्तों को भी दुश्मन बना देती है
फिर भाषा प्यार की समझ नही आती है
No comments:
Post a Comment